Sunday, January 17, 2010

मज़ा ही कुछ और है

सभी साधू संतों को जय राम जी की, आज में अपनी ज़िन्दगी की पहली और शायद आखिरी कविता लिखने कीकोशिश करा रहा हूँ !!
इस कविता का शीर्षक है "मज़ा ही कुछ और है ", जिसे हम कुछ खास पालो को सम्भोदित करते हुये कहते हैं

कविता का आनंद उठाएं और पसंद आने पे
आईला कह के तहाके लगाये !!!!

पड़ोस की सुन्दर लड़की की बालकोनी पे नज़रे गड़ाने का,
उसके भाई को ......"कुत्ता है साला" .....बुलाने का",
अपनी bike में सिर्फ 10 रुपए का तेल डालने का,
और तेल ख़तम होने पे bike झुका झुका के भगाने का .......
मज़ा ही कुछ और है,


यारो,..... स्कूल के मास्टर से... कोअचिंग पढ़, ज्यादा नंबर पाने का,
और दोस्तों को ........नंबर बड़ी मेहनत से कमाए है... यह बताने का,
अपने register के आखिर पन्ने पे........ हज्ज़रो बार अपना नाम चडाने का,
और एक ही register को हर subject की कापी बनाने का.........
मज़ा ही कुछ और है,


क्लास की सबसे सुंदर कन्या को अपने पास बेह्थाने का,
उसके.......... घटिया चुटकुलों पे........... जोर जोर से टहाके लगाने का,
और उसे ........... अपने दोस्तों की .......गन्दी नजरो...... से बचाने का ...
.मज़ा ही कुछ और है

दोस्तों इसी तरह
Police को ..............मामू बुलाने का,
घर वालो ko ..मामू.............. बनाने का
भीगी बारिश में........... भुट्टा खाने का,
समोसे में ...................एक्स्ट्रा चटनी डलवाने का....
होमेवोर्क को क्लास में निपटाने का
और इंग्लिश मीडियम school में......मास्टर जी बुलाने का........
.मज़ा ही कुछ और है

मुझे यह बताने का.......... की आपने
आईला कित्ने बार कहा, अगर नहीं,
तो
मुझे ...चल ..माई ला.. कहने का ..क्या मज़ा कुछ और नहीं है ???

6 comments:

  1. aaila !!!! te chamaila....

    yeh kya ho rela hain bhai log pune se mumbai direct..... changla aahe :D

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  2. aaaila kya baat hain bhai . geetkar se kavita kaar ho gai ab kya kya kaar banoge . warna humlog bolenge aaila bharat ke scraps parne ka mazaa hi kuch aur hai

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  3. aailaaaaaaaa,jhakaas poem hai bhai... :)

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